उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से हिल गई देश की राजनीति… तरह-तरह की आशंकाओं के बीच कांग्रेस हमलावर, सरकार चुप
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है। स्वास्थ्य कारण बताए गए, लेकिन कांग्रेस ने इसके पीछे गहरे कारणों की आशंका जताई है। BAC बैठक में दो वरिष्ठ मंत्रियों की अनुपस्थिति से उपजे तनाव को इसकी पृष्ठभूमि माना जा रहा है। यह इस्तीफा आत्मसम्मान से जुड़ा है। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला जरूर दिया है, लेकिन इस्तीफे का यह कारण विपक्ष के गले नहीं उतर रहा है। कांग्रेस ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ बहुत बड़ी घटना घटी है। इस्तीफे की वजह कुछ और दिख रही है।
लोकसभा व राज्यसभा में संसद की कार्रवाई चल रही है। उम्मीद के मुताबिक विपक्ष संसद में प्रदर्शन कर रहा है। संसद के परिसर में आकर विपक्ष के सांसद सरकार के खिलाफ हंगामा कर रहे हैं।
कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए कहा कि कल उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की अध्यक्षता की। इस बैठक में अधिकांश सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें सदन के नेता जे.पी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू भी शामिल थे। चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि कमेटी की अगली बैठक उसी दिन शाम 4:30 बजे होगी।
दो वरिष्ठ मंत्री जानबूझकर बैठक में नहीं पहुंचे
शाम 4:30 बजे निर्धारित समय पर BAC की बैठक दोबारा धनखड़ की अध्यक्षता में शुरू हुई। बैठक में नड्डा और रिजिजू के आने की प्रतीक्षा की गई, लेकिन वे नहीं आए। इस बात की धनखड़ को पहले से कोई व्यक्तिगत सूचना नहीं दी गई थी। यह उनकी गरिमा और पद की अवहेलना थी। उचित रूप से उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। BAC की बैठक को अगले दिन दोपहर 1 बजे के लिए स्थगित कर दिया। स्पष्ट है कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर घटनाक्रम हुआ, जिसके चलते दो वरिष्ठ मंत्री जानबूझकर बैठक में नहीं पहुंचे।
अब चौंकाने वाला कदम उठाते हुए जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, जिसे मानवीय दृष्टि से सम्मानपूर्वक स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि उनके इस्तीफे के पीछे कहीं गहरे और गंभीर कारण छिपे हैं।
किसानों के हितों की उठाई बेबाकी से आवाज
2014 के बाद के भारत की हमेशा सराहना करते हुए धनखड़ ने किसानों के हितों की बेबाकी से आवाज उठाई। सार्वजनिक जीवन में ‘अहंकार’ के खिलाफ मजबूती से बोले। न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम पर बार-बार ध्यान दिलाया। सत्ताधारी G2 शासन के दबाव के बावजूद उन्होंने विपक्ष को यथासंभव सम्मान देने का प्रयास किया। वे नियमों, शिष्टाचार और प्रोटोकॉल के सख्त पक्षधर थे, जिन्हें वे महसूस करते थे कि लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
धनखड़ का यह इस्तीफा उनके आत्मसम्मान, संवैधानिक मर्यादाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह उन लोगों के लिए एक शर्मनाक संकेत भी है, जिन्होंने उन्हें इस गरिमामय पद पर पहुंचाया था।